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हमारे देश में पुराने समय से ही पेड़-पौधों को लगाने और उन्हें कटने से बचाने की परंपरा रही है। कई बार लोगों ने मिलकर पेड़ों को बचाने के लिए आंदोलन भी किया। ऐसे ही किसी आंदोलन के बारे में जानकारी इकट्ठी करके कॉपी में लिखो। इसके लिए तुम्हें पुस्तकालय, समाचार-पत्रों, पत्रिकाओं, शिक्षिका या माता-पिता और इंटरनेट से भी सहायता मिल सकती है।


हमारे देश में कई पेड़-पौधों की पूजा भी की जाती है जैसे तुलसी,पीपल आदि अतः पेड़-पौधो को बचाने की परम्परा रही है| पेड़-पौधों को बचाने के लिए दिए गए बलिदान की एक कहानी निम्नानुसार है-


चिपको आंदोलन- इस आन्दोलन में लोग पेड़ो को काटने से बचाने के लिए पेड़ो से चिपक गए थे| इसीलिए इसे चिपको आन्दोलन कहा गया| यह आंदोलन सन् 1973 में गढ़वाल के चमोली जिले में आरंभ हुआ था। इसने धीरे-धीरे पूरे उत्तराखण्ड में जागरूकता फैलायी और पेड़ों को कटने से बचाया। इस आन्दोलन का नेतृत्व सुंदर लाल बहुगुणा द्वारा किया गया था। स्त्रियों के साहस के कारण ही यह आंदोलन सफल हुआ और कई असंख्य पेड़ों को बलि चढ़ने से बचाया जा सका। स्त्रियाँ पेड़ों से चिपक गई और बल प्रयोग करने पर भी नहीं हटीं। इस तरह से आंदोलन ने पूरे भारत के लोगों को जागरूक किया। यह ऐसा अनोखा आंदोलन था, जहाँ स्त्रियों की भागीदारी सबसे अधिक थी। इस आंदोलन की सराहना पूरे विश्व में की गयी।


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